Leaders of Congress Party or its supporters can tap the phone of BJP leaders like Jaitley but do not have the time to act upon IB warnings of possible terror attack; they do not have time to catch the terrorist who was seen in Hyderabad and information to this effect was sent to Delhi police. Congress Party has been talking of police reform for several years but did nothing in this line. Police of Delhi is blaming Hyderabad Police and vice versa on IB clues on possible terror attack in Hyderabad. After every terror attacks ruling party talk of framing of new laws but never take care of enforcing existing laws to stop rising graph of crime.
After Parliament attack or after Mumbai serial blast the government of India promised to take all possible steps to stop further terror attack. But it miserably failed to use existing laws to trap terrorist and devote their entire energy to blame BJP or NDA for all terror attacks. .
Media cry after each blast, GOI promise to make more stringent rule but always fail to even effectively use the existing laws. Police blame the police of other states but never own their own responsibility. GOI has made several laws but never fixed responsibility on those officials who fail to discharge their duty in time and effectively.GOI is always busy in dirty politics of secularism and tries to get rid of responsibility on BJP and NDA for their acts of ten years ago.
After 9/11 ,Government of America became so much active and effective that it successfully and completely stopped all terror attack and punished all those who were involved directly or indirectly in terror attack which occurred in America.Will Indian government take lessons from america?
After 9/11 ,Government of America became so much active and effective that it successfully and completely stopped all terror attack and punished all those who were involved directly or indirectly in terror attack which occurred in America.Will Indian government take lessons from america?
Severest action has been taken against Ramdeo within one year of his movement against corruption. For this purpose Congress Party directed all agencies like CBI, ED, IT, Drug control etc to riad the business houses and Yoga houses of Ramdeo and ensured levy of tax and cancellation of land etc. Congress Party did not delay in framing charge and taking action against Arvind Kejriwal and Balkrishna like persons who are exposing corruption of Congress Party and its allies. Congress party did not delay in transferring Mr. Khemka who questioned the legality of land allotted to Mr. Vadra. But it is unfortunate that none of terrorist said to have been caught in several l terror attacks which occurred during last ten years has been convicted.
Congress party is advocating benefit of National Counter Terror Cell ,NCTC to exonerate itself from the guilt of failing to stop terror attack in Hyderabad despite having sufficient information in this respect.,
BUT unfortunately it IS CONGRESS PARTY WHICH NULLIFIED the most suitable act LIKE POTA framed by NDA to curb terror attack. They considered the act as anti national only because it was enacted by its rival party BJP or rival group NDA.
As long as congress party is in power, it will be foolish to dream of any reduction in terrorism or naxalism or corruption or price rise or unemployment. Congress party knows all tact to befool Indians by using trump card of secularism to conceal its faults on economic or social security fronts.
Last but not the least,
- Will present government at Delhi establish Fast Track court to decide and punish all alleged terrorist who have been found involved in terror attacks of last ten years?
- Will Government of India constitute Fast Track Courts in all districts to investigate and punish the person against whom charges of corruption have been leveled?
- Will congress Party stop treating all types of criminals and all varies to terrorists including naxalites from community angle of consideration or from political angle of consideration and try to punish all criminals without any bias or prejudices?
- Will politicians stop interfering in the role and activities of police and armed forces?
- Will media men stop unwarranted debate on secularism and communalism and focus on nationalism and nationalism only?
- Will Media men stop their negativity and stop creating animosity among various political parties ?
- Will they make efforts to join parties in national interest and stop widening the gap between two political parties or two communities by sprinkling slat on their historic wounds?
- Will they treat violence and all types of crime without anybiased or prejudiced attitude towards one caste or community?
- Will they treat all Indians as only Indians and not treat them in the category of Hindu or Muslim or Sikh or Christian?
- And will media men stop acting as agent of ruling congress Partyor any ruleing party of the country only to seek revenue earning from advertisement or only to increase their TRP?
- Will Indians Learn to say Spade a spade?
धमाके होते रहेंगे...लोग मरते रहेंगे
Author : vijay kumar
देश में आतंकवादी बड़े पैमाने पर विध्वंसक कार्रवाइयां कर रहे हैं। इनके दुस्साहस का इससे बड़ा सबूत क्या होगा कि ये जम्मू-कश्मीर विधानसभा (19 अक्तूबर 2001) तथा देश के गौरव की प्रतीक संसद (13 दिसम्बर 2001) पर हमला करके 8 सुरक्षा कर्मियों सहित 9 लोगों को शहीद कर चुके हैं।
26 नवम्बर 2008 के मुम्बई हमलों, जिनमें 166 लोगों की मृत्यु तथा 300 के लगभग लोग घायल हो गए थे, के बाद से देश के 5 शहरों में 12 आतंकी हमले हुए जिनमें 100 के लगभग लोग मारे गए हैं। काफी समय से हैदराबाद आतंकियों के निशाने पर है। यहां 26 जनवरी 2001 को सचिवालय के बाहर, 21 नवम्बर 2002 को दिलसुख नगर में, 28 अक्तूबर 2004 को पानी की मेन पाइप लाइन, 4 नवम्बर 2004 को पुलिस कंट्रोल रूम, 12 अक्तूबर 2005 को एस.पी.एफ. कार्यालय, 7 मई 2006 को एक सिनेमाघर, 18 मई 2007 को मक्का मस्जिद व 25 अगस्त 2007 को फिर दिलसुख नगर में बम धमाकों में 58 लोगों की मौत हो चुकी है।
हाल ही में कर्नाटक में पकड़े गए लश्कर के एक माड्यूल में से भी एक ने बताया था कि हैदराबाद का दिलसुख नगर आतंकियों के निशाने पर है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के अनुसार गुप्तचर ब्यूरो ने 16, 19 और 20 फरवरी को 4 शहरों हैदराबाद, मुम्बई, बेंगलूर व कोयम्बटूर में धमाकों की आशंका सम्बन्धी अलर्ट जारी किया था, परंतु इस अलर्ट का भी कोई लाभ न हुआ।
21 फरवरी को हैदराबाद के दिलसुख नगर में बस स्टैंड व 2 सिनेमाघरों के बीच 200 मीटर के दायरे में शाम 7 से 7.10 बजे के बीच 2 शक्तिशाली बम धमाकों में कम से कम 16 लोग मारे गए और 119 घायल हो गए।
2007 की भांति ही इस बार भी यहां 2 धमाके हुए, इस बार भी टिफिन, टाइमर, मुजाहिदीन की भांति बमों में अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग व बम रखने के लिए साइकिल का इस्तेमाल हुआ। हर बम में कम से कम एक किलो विस्फोटक व 2 से 2.5 किलो छर्रे इस्तेमाल किए गए।
हैदराबाद के उर्दू दैनिक ‘सियासत’ के संपादक जहीर के अनुसार शहर में लगे 150 सी.सी.टी.वी. कैमरों में से 40 प्रतिशत खराब हैं। चर्चा है कि आतंकियों ने 4 दिन पहले ही दिलसुख नगर के सी.सी.टी.वी. कैमरे तार काट कर नाकारा कर दिए तथा बस स्टैंड की तरफ वाले कैमरों का रुख भी बदल दिया था।
1 अगस्त 2012 को श्री शिंदे के गृह मंत्री बनने के मात्र साढ़े 6 महीनों में हुआ यह दूसरा सीरियल बम धमाका है। उनके गृह मंत्री बनने के दिन ही शाम को पुणे में 4 धमाके हुए थे परन्तु उनमें कोई हताहत नहीं हुआ था। वे बम भी साइकिलों पर ही रखे गए थे और उनमें भी अमोनियम नाइट्रेट ही प्रयुक्त किया गया था।
आतंकियों के आगे सरकार की बेबसी का अनुमान राहुल गांधी द्वारा 14 जुलाई 2011 को उड़ीसा में दिए इस बयान से लग जाता है कि ‘‘हर समय आतंकवादी हमलों को रोकना असंभव है। देश में एक-दो आतंकी हमले होंगे ही। इनसे तो अमरीका भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।’’
देश में फैल रहे आतंकवाद बारे विशेषज्ञों का कहना है कि यह सरकार की ढुलमुल नीतियों का नतीजा है। अव्वल तो अभियुक्त पकड़े नहीं जाते और यदि पकड़े जाते हैं तो अदालती कार्रवाई में ही वर्षों बीत जाते हैं और अदालत द्वारा सजा सुना भी दी जाए तो सरकार की तुष्टीकरण की नीति के कारण तथा एक वर्ग विशेष के नाराज हो जाने के डर से उस पर वर्षों अमल नहीं हो पाता।
इस कारण लोगों की जो हमदर्दी मृतकों और घायलों से होती है, मुकद्दमे लटकने व समय बीतने के कारण वे पृष्ठभूमि में चले जाते हैं और निहित स्वार्थी तत्व अपराधियों की बीमारी, लम्बे समय तक नजरबंदी और उनके परिवार की दयनीय हालत आदि के बहाने अपराधियों को बचाने का अभियान छेड़ देते हैं।
हाल ही में अफजल गुरु को फांसी के विरोध में कश्मीर में अलगाववादी संगठनों द्वारा कई दिन के बंद का आयोजन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक द्वारा उसके समर्थन में पाकिस्तान में एक दिन की भूख हड़ताल और आतंकवादी हाफिज सईद के साथ भेंट इसी का प्रमाण है।
मानव अधिकारवादी भी अपराधियों को फांसी दिए जाने के विरुद्ध शोर मचाना शुरू कर देते हैं जबकि वे कभी भी पीड़ितों के पक्ष में आवाज नहीं उठाते। आखिर किसी भी बम विस्फोट के मृतकों के संबंध में उन्होंने अपनी जुबान कभी नहीं खोली।
ऐसी अप्रिय स्थिति को टालने और देश से आतंकवाद को समाप्त करने का मात्र एक ही उपाय है कि अपराधियों के पकड़े जाने पर उनके विरुद्ध तत्काल अदालती कार्रवाई करके उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचा दिया जाए ताकि न्याय में विलंब के परिणामस्वरूप उनके विरुद्ध पैदा होने वाली तथाकथित ‘सहानुभूति की लहर’ का लाभ उठाने का किसी को भी अवसर न मिले।
26 नवम्बर 2008 के मुम्बई हमलों, जिनमें 166 लोगों की मृत्यु तथा 300 के लगभग लोग घायल हो गए थे, के बाद से देश के 5 शहरों में 12 आतंकी हमले हुए जिनमें 100 के लगभग लोग मारे गए हैं। काफी समय से हैदराबाद आतंकियों के निशाने पर है। यहां 26 जनवरी 2001 को सचिवालय के बाहर, 21 नवम्बर 2002 को दिलसुख नगर में, 28 अक्तूबर 2004 को पानी की मेन पाइप लाइन, 4 नवम्बर 2004 को पुलिस कंट्रोल रूम, 12 अक्तूबर 2005 को एस.पी.एफ. कार्यालय, 7 मई 2006 को एक सिनेमाघर, 18 मई 2007 को मक्का मस्जिद व 25 अगस्त 2007 को फिर दिलसुख नगर में बम धमाकों में 58 लोगों की मौत हो चुकी है।
हाल ही में कर्नाटक में पकड़े गए लश्कर के एक माड्यूल में से भी एक ने बताया था कि हैदराबाद का दिलसुख नगर आतंकियों के निशाने पर है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के अनुसार गुप्तचर ब्यूरो ने 16, 19 और 20 फरवरी को 4 शहरों हैदराबाद, मुम्बई, बेंगलूर व कोयम्बटूर में धमाकों की आशंका सम्बन्धी अलर्ट जारी किया था, परंतु इस अलर्ट का भी कोई लाभ न हुआ।
21 फरवरी को हैदराबाद के दिलसुख नगर में बस स्टैंड व 2 सिनेमाघरों के बीच 200 मीटर के दायरे में शाम 7 से 7.10 बजे के बीच 2 शक्तिशाली बम धमाकों में कम से कम 16 लोग मारे गए और 119 घायल हो गए।
2007 की भांति ही इस बार भी यहां 2 धमाके हुए, इस बार भी टिफिन, टाइमर, मुजाहिदीन की भांति बमों में अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग व बम रखने के लिए साइकिल का इस्तेमाल हुआ। हर बम में कम से कम एक किलो विस्फोटक व 2 से 2.5 किलो छर्रे इस्तेमाल किए गए।
हैदराबाद के उर्दू दैनिक ‘सियासत’ के संपादक जहीर के अनुसार शहर में लगे 150 सी.सी.टी.वी. कैमरों में से 40 प्रतिशत खराब हैं। चर्चा है कि आतंकियों ने 4 दिन पहले ही दिलसुख नगर के सी.सी.टी.वी. कैमरे तार काट कर नाकारा कर दिए तथा बस स्टैंड की तरफ वाले कैमरों का रुख भी बदल दिया था।
1 अगस्त 2012 को श्री शिंदे के गृह मंत्री बनने के मात्र साढ़े 6 महीनों में हुआ यह दूसरा सीरियल बम धमाका है। उनके गृह मंत्री बनने के दिन ही शाम को पुणे में 4 धमाके हुए थे परन्तु उनमें कोई हताहत नहीं हुआ था। वे बम भी साइकिलों पर ही रखे गए थे और उनमें भी अमोनियम नाइट्रेट ही प्रयुक्त किया गया था।
आतंकियों के आगे सरकार की बेबसी का अनुमान राहुल गांधी द्वारा 14 जुलाई 2011 को उड़ीसा में दिए इस बयान से लग जाता है कि ‘‘हर समय आतंकवादी हमलों को रोकना असंभव है। देश में एक-दो आतंकी हमले होंगे ही। इनसे तो अमरीका भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।’’
देश में फैल रहे आतंकवाद बारे विशेषज्ञों का कहना है कि यह सरकार की ढुलमुल नीतियों का नतीजा है। अव्वल तो अभियुक्त पकड़े नहीं जाते और यदि पकड़े जाते हैं तो अदालती कार्रवाई में ही वर्षों बीत जाते हैं और अदालत द्वारा सजा सुना भी दी जाए तो सरकार की तुष्टीकरण की नीति के कारण तथा एक वर्ग विशेष के नाराज हो जाने के डर से उस पर वर्षों अमल नहीं हो पाता।
इस कारण लोगों की जो हमदर्दी मृतकों और घायलों से होती है, मुकद्दमे लटकने व समय बीतने के कारण वे पृष्ठभूमि में चले जाते हैं और निहित स्वार्थी तत्व अपराधियों की बीमारी, लम्बे समय तक नजरबंदी और उनके परिवार की दयनीय हालत आदि के बहाने अपराधियों को बचाने का अभियान छेड़ देते हैं।
हाल ही में अफजल गुरु को फांसी के विरोध में कश्मीर में अलगाववादी संगठनों द्वारा कई दिन के बंद का आयोजन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक द्वारा उसके समर्थन में पाकिस्तान में एक दिन की भूख हड़ताल और आतंकवादी हाफिज सईद के साथ भेंट इसी का प्रमाण है।
मानव अधिकारवादी भी अपराधियों को फांसी दिए जाने के विरुद्ध शोर मचाना शुरू कर देते हैं जबकि वे कभी भी पीड़ितों के पक्ष में आवाज नहीं उठाते। आखिर किसी भी बम विस्फोट के मृतकों के संबंध में उन्होंने अपनी जुबान कभी नहीं खोली।
ऐसी अप्रिय स्थिति को टालने और देश से आतंकवाद को समाप्त करने का मात्र एक ही उपाय है कि अपराधियों के पकड़े जाने पर उनके विरुद्ध तत्काल अदालती कार्रवाई करके उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचा दिया जाए ताकि न्याय में विलंब के परिणामस्वरूप उनके विरुद्ध पैदा होने वाली तथाकथित ‘सहानुभूति की लहर’ का लाभ उठाने का किसी को भी अवसर न मिले।
No comments:
Post a Comment